Friday, October 31, 2014

कहाँ चला जाता है?

कहाँ चला जाता है
प्यार जो ग़ायब हो जाता है
आसमां में खो जाता है?
समंदर में डूब जाता है?
हवाओं में उड़ जाता है?
गुलाबों में खिल उठता है?
क्या यही वजह है
इस धरती का कोई अंत नहीं?
प्यार नहीं टिक पाता, लेकिन
आलौकिक हैं आसमां, समंदर और हवाएँ 
फूल खिलते हैं, चिड़ियाँ चहकती हैं, बच्चे मदमस्त 
मुहब्बत शायद इन सब को भर देती है
जब वो ग़ायब होती है, 
वहाँ से जिन्हें प्यार जताना तो आ गया, निभाना नहीं 
शायद ये इंसानी फ़ितरत है
प्यार पनपता है हर तरफ़
सिवाय रिश्तों के

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