Friday, October 31, 2014

अक्सर रातों को

तकिये सोते हैं
मन जागते रहते हैं
दिल सपने संजोते हैं
और प्यार आस लगाये...

कौन कहता है रातें आसां होती हैं?
कल रात लकीरों ने फिर से जता दिया
हादसों को यूँ ही नहीं किसी ने तक़दीर कहा है
तुम तो यूँ ही सजाते रहे ख़्वाबों का आशियाँ 
दिल में उनके तो अब भी कोई और बसा है
करो अहतराम उनकी मुहब्बत का
दिल के बहकने की बस यही सज़ा है

कहाँ चला जाता है?

कहाँ चला जाता है
प्यार जो ग़ायब हो जाता है
आसमां में खो जाता है?
समंदर में डूब जाता है?
हवाओं में उड़ जाता है?
गुलाबों में खिल उठता है?
क्या यही वजह है
इस धरती का कोई अंत नहीं?
प्यार नहीं टिक पाता, लेकिन
आलौकिक हैं आसमां, समंदर और हवाएँ 
फूल खिलते हैं, चिड़ियाँ चहकती हैं, बच्चे मदमस्त 
मुहब्बत शायद इन सब को भर देती है
जब वो ग़ायब होती है, 
वहाँ से जिन्हें प्यार जताना तो आ गया, निभाना नहीं 
शायद ये इंसानी फ़ितरत है
प्यार पनपता है हर तरफ़
सिवाय रिश्तों के
किश्तों में ख़ुशियाँ 
टुकड़ों में ज़िंदगी 
बड़ा बेदर्द है
तेरा अंदाज-ए-दिल्लगी

Thursday, October 30, 2014

कुछ तो है ...

कुछ तो है जो मुझे बार-बार 
तुम्हारी ओर ले आता है
मैं कुछ भी कह-कर लूँ 
मैं तुम्हें यहीं महसूस करूँगी
जब तक कि मैं चली नहीं जाती 

बिन-छुए थामते हो 
बिन-ज़ंजीरों के जकड़ते हो
मैंने कभी इतना कुछ नहीं चाहा
जितना कि डूब जाऊँ तुम्हारे प्यार में 
और मुझे तुम्हारी बारिश भी महसूस ना हो

कर दो आज़ाद
रहने दो मुझको
मैं नहीं चाहती गिरना तुम्हारी ग्रेवीटी में 
मैं हूँ यहीं, खड़ी तुम्हारे संग, बिलकुल वैसे जैसे कि मुझे होना था
और तुम यूँ छाये हो मुझ पर 

तुम्हें मुहब्बत मेरी नाजुकता से 
मुझे शुमार अपने मज़बूत होने का
तुम्हारा छूना ज़रा सा
मेरी नाज़ुक ताक़त का यूँ बिखरना

मैं यहाँ ज़मीं पे
तुम्हें ये दिखाने की कोशिश में 
कि तुम वो सब हो 
जो मैं समजती हूँ मेरी ज़रूरत 

ना तो मैं तुम्हें जाने देती
ना ही तुम मुझे उभरने देते
मुझे ज़मीं से बाँधे हो
तुम यूँ मुझ पर छाये हो

कुछ तो है जो मुझे बार-बार 
तुम्हारी ओर ले आता है

Saturday, October 4, 2014

मैं जन्नत में था
किसी सितारे की आड़ में 
ये धरती मुझसे मीलों दूर, नीचे
मैं भूल चुका था
प्यार सच्चा भी होता है
या नहीं 

यहाँ से,
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता 

पूछ बैठी मुझ से
"क्या हरदम यूँ ही मुहब्बत करते रहोगे?"
पर उसके ज़हन में,
दिल में,
ये सवाल था ही नहीं 
वो तो एक तथ्य था
"तुम हरदम यूँ ही मुझसे मुहब्बत करते रहोगे"

हाँ ।